कई बार कोर्ट में ओसे मामले पहुंचते हैं, जिसमें जज को भी निर्णय करने में मुश्किल होती है। ऐसा ही एक मामला फैमिली कोर्ट में पहुंचा, जिसमें जज खुद बिखरते परिवार को बचाने जुटे हैं। प्रकरण में दंपती के साथ परिजनों की भी काउंसलिंग की जा रही है।
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दरअसल, एक महिला ने पति के खिलाफ भरण-पोषण और तलाक का आवेदन दिया है। महिला का कहना है कि पति ने उसे जिंदगी में सुख देने की बजाय एचआईवी जैसा दर्द दिया है, जो हर पल मौत के करीब ले जा रहा है। वहीं, पति ने आरोप लगाया कि उसके किसी से संबंध नहीं है उसे उल्टे पत्नी से यह रोग मिला है। इस मामले में सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा, अब दोनों साथ रहो और अपना इलाज कराओ। अब दोनों को ही एक-दूसरे का ख्याल रखना होगा। यह मामला कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायधीश आरएन चंद की कोर्ट में पहुंचा। मामले में जज के समझाने के बाद दोनों के बीच साथ रहने पर सहमति बनी है। अब दोनों की काउंसलिंग कराई जा रही है।
जज ने दोनों के परिवारों की भी काउंसलिंग कराने के निर्देश दिए
सुनवाई करते न्यायधीश आरएन चंद ने दोनों को बैठाकर समझाया कि जो होना था हो गया। उसे बदला नहीं जा सकता। परंतु जो हाथ में है उसे सुधारा जा सकता है। दोनों एक-दूसरे का साथ देते हुए एचआईवी का पूरा इलाज कराओ। मौत के खौफ से बाहर निकलो। बहुत से ऐसे उदाहरण है, जिसमें लोग दवा लेकर बेहतर जीवन जी रहे है। जज ने दोनों के परिवारों की भी काउंसलिंग कराने के निर्देश दिए हैं। ताकि परिजनों को पता चले कि एचआईवी छूत का रोग नहीं है। यह न तो छूने से फैलता है और न ही साथ खाने-पीने से।
पत्नी के अन्य व्यक्ति से थे संबंध
मेरे भी किसी अन्य महिला से कोई संबंध नहीं रहे हैं। मुझे यह रोग पत्नी से मिला है। पत्नी मुझ पर रोग देने का झूठा आरोप लगा रही है। शादी के पहले मैंने पत्नी के पहले के जीवन के विषय में नहीं पूछा था। शायद पूछ लेता तो इतने बच जाता। हर बार पुरुष पर ही शक किया जाता है,जबकि महिला भी शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाती है। परंतु समाज मेरी बात पर यकीन नहीं करेगा कि मेरे शादी से पहले किसी से कोई संबंध नहीं थे। यह रोग मुझे पत्नी से मिला है। (पुरुष ने जज व काउंसलर को बताया)
गर्भवती हुई तब परिवार खुश था
मेरी शादी जुलाई 2018 में हुई। शादी के बाद संयुक्त परिवार में रहते थे। पति निजी कंपनी में मैनेजर हैं। वहीं मैं प्राइवेट बैंक में कार्यरत हूं। नवंबर में जब मैं गर्भवती हुई तो परिवार खुश था। गर्भ के तीन माह बाद जब पहली जांच करने अस्पताल पहुंची, तो तब पता कि मैं एचआईवी रिपोर्ट पॉजिटिव थी। इसके बाद घर में हड़कंप मच गया। डॉक्टर के कहने पर पति की भी जांच कराई तो वह भी एचआईवी पॉजिटिव निकला। फिर मुझे अबॉर्शन कराना पड़ा। क्योंकि होने वाले बच्चे को भी बीमारी का खतरा बना रहता। इसके बाद कोर्ट में आवेदन दिया। अब मैं पति के साथ नहीं रह सकती।